राज्यसभा में Chandrayaan-3 की सफलता पर हुई चर्चा, विपक्ष ने अनुसंधान पर खर्च बढ़ाने की मांग की

विपक्षी दलों ने बुधवार को अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों और चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता का श्रेय देश के वैज्ञानिक समुदाय को दिया और साथ ही वैज्ञानिक अनुसंधान पर कम खर्च को लेकर सरकार की आलोचना की. उन्होंने वैज्ञानिकों का वेतन बढ़ाने की मांग जोरशोर से उठाई. ‘भारत की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा और चंद्रयान-3′ की सफल सॉफ्ट लैंडिंग विषय पर राज्यसभा में चर्चा में भाग लेते हुए विपक्षी सदस्यों ने आम लोगों की समस्याओं को हल करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान का अधिक से अधिक उपयोग करने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर बोला हमला

कांग्रेस के जयराम रमेश ने भाजपा-नीत केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की अब तक की उपलब्धियां किसी एक सरकार के कार्यकाल में नहीं हासिल हुई, बल्कि यह 60 साल लंबी यात्रा का परिणाम है. रमेश ने कहा कि नेता सदन पीयूष गोयल के संबोधन से ऐसा प्रतीत हुआ कि देश की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत 2014 में हुई और इस यात्रा के सूत्रधार प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी धारणा बनाई जा रही है कि चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 की सफलता एक व्यक्ति के कारण मिली है.

उन्होंने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम का विस्तार से जिक्र किया और कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘‘बाहुबल वाले राष्ट्रवाद का प्रतीक” नहीं है, बल्कि इसका मकसद विकास को बढ़ावा देना रहा है. उन्होंने कहा कि यह सैन्य क्षेत्र का हिस्सा नहीं होकर असैनिक उद्देश्यों के लिए रहा है तथा इसका उपयोग दूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग), ग्रामीण विकास, संचार, मौसम भविष्यवाणी जैसे क्षेत्रों के लिए होता रहा है.

रमेश ने कहा कि चंद्रयान के बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में घोषणा की थी और चंद्रयान-1 वर्ष 2008 में तथा दूसरा मिशन 2019 में रवाना किया गया था. उन्होंने कहा कि यह एक सतत प्रक्रिया रही है और विभिन्न सरकारों और प्रधानमंत्रियों ने इसमें योगदान किया है. उन्होंने कहा कि आदित्य एल-1 भी एक बड़ी कामयाबी है और इसकी शुरुआत 2006 में की गई थी जिसे पूरा करने में 17 साल लग गए.

“पंडित जवाहर लाल नेहरू को याद नहीं करना उचित नहीं”

भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम लैंडर’ की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था. भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना. तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत जब भी कोई उत्कृष्ट सफलता हासिल करता है तो बतौर भारतीय हर किसी को गर्व होता है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता सरकारों की निरंतर कोशिशों का परिणाम है और आज के दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू का याद ना किया जाए तो यह उचित नहीं होगा क्योंकि उन्होंने देश में वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाया.

विक्रम साराभाई, डॉक्टर एजीपे अब्दुल कलाम सतीश धवन जैसे देश के महान वैज्ञानिकों के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनकी दूरदृष्टि का ही परिणाम है कि भारत आज अंतरिक्ष की इस यात्रा तक पहुंचा है. उन्होंने इस यात्रा में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान की भी याद किया. उन्होंने कहा कि इसरो के बजट को इस सरकार ने आठ प्रतिशत तक कम कर दिया जो कि दुखद है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में भी हम अपने जीडीपी का 0.6 प्रतिशत ही खर्च करते हैं.\उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष और चंद्रमा की बात करना अच्छी बात है लेकिन चर्चा मणिपुर पर भी होनी चाहिए.

हम मूर्तियां बनाने पर बड़ी राशि खर्च कर रहे हैं : माकपा

माकपा के वी शिवदासन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अंतरिक्ष मिशन प्रक्षेपणों की संख्या में कमी आई है. उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर भारत का खर्च महज 0.6 प्रतिशत है जबकि दक्षिण कोरिया, अमेरिका और चीन जैसे देश कहीं अधिक खर्च करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम विज्ञान शिक्षा की तुलना में मूर्तियां बनाने पर बड़ी राशि खर्च कर रहे हैं. चंद्रयान-3 पर 615 करोड़ रुपये खर्च होंगे लेकिन प्रतिमाओं पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं.”

वैज्ञानिकों के वेतन में वृद्धि की आवश्यकता है: अब्दुल वहाब

आईयूएमएल के अब्दुल वहाब ने वैज्ञानिकों के वेतन में वृद्धि की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लंबे समय तक काम करने के बावजूद उन्हें बहुत कम भुगतान किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग उच्च वेतन वाली नौकरियों को चुन रहे हैं. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चंद्रयान-3 की कम लागत वैज्ञानिकों को दिए जाने वाले ‘अल्प वेतन’ के कारण है, जिनके विदेशों में समकक्षों को ‘पांच गुना अधिक मिल रहा है.

देश के 1.4 अरब लोगों के बारे में सोचना होगा: कपिल सिब्बल

आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान का उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए निर्दलीय सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘हम अनुसंधान में जिस तरह का वित्त पोषण करते हैं, वह इतना कम है कि हम उन समाधानों को खोजने में सक्षम नहीं होंगे.” उन्होंने आगे कहा, ‘‘आप चंद्रमा तक पहुंच सकते हैं, आप तारे तक पहुंच सकते हैं, आप आकाश पर शोध कर सकते हैं, लेकिन आपको जो करने की जरूरत है वह जमीन पर लोगों की देखभाल करना है.” सिब्बल ने कहा कि विज्ञान एक ऐसा विषय है जो इतना दूरगामी है कि यह हमारे जीवन को बदल सकता है, लेकिन इसके लिए हमें हर स्तर पर विज्ञान में नवाचारों के बारे में सोचना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘एक स्तर पर इसरो ने क्या किया है और क्या हासिल कर पाया है, लेकिन दूसरे स्तर पर हमें इस देश के 1.4 अरब लोगों के बारे में सोचना होगा और खुद से सवाल पूछना होगा कि विज्ञान ने उनके लिए क्या किया है?”

“हम बेरोजगारी के टाइम बम पर बैठे हैं” : RJD

राजद के ए डी सिंह ने ‘अमृत काल’ का महिमामंडन करने के लिए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वास्तविक अमृत काल तब आएगा जब हम उन 80 करोड़ लोगों को रोजगार या स्थिरता प्रदान करने में सक्षम होंगे जिन्हें हम आज चावल और गेहूं देकर खिला रहे हैं.” उन्होंने कहा, ‘हम बेरोजगारी के टाइम बम पर बैठे हैं. बीआरएस के के आर सुरेश रेड्डी ने न केवल आईआईटी बल्कि देश भर के इंजीनियरिंग कॉलेजों को मजबूत करने का आह्वान किया ताकि युवाओं को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और चंद्रयान -3 की सफलता से युवाओं के बीच पैदा हुए वैज्ञानिक सोच को भुनाया जा सके.

नेहरू को याद न किया जाए तो बेमानी होगी: संदीप पाठक

आम आदमी पार्टी के संदीप पाठक ने कहा कि आज के दिन पंडित नेहरू को याद न किया जाए तो बेमानी होगी. उन्होंने कहा कि जिस समय देश में पर्याप्त अन्न नहीं था, उस समय उन्होंने वैज्ञानिक सोच को बढ़ाया और इस क्षेत्र में निवेश किया.ॉ उन्होंने कहा कि नेहरू की ही देन है कि आज भारत कहां पहुंच गया और पाकिस्तान कहा है. उन्होंने वैज्ञानिकों के लिए मूलभूत सुविधाएं बढ़ाए जाने की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का बजट ब्रिक्स देशों से भी कम है. उन्होंने कहा कि हम जीडीपी का महज 0.6 प्रतिशत ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर खर्च करते हैं.उन्होंने सरकारी संस्थानों में वैज्ञानिकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 साल से अधिक किए जाने की मांग की.

कई दलों के सासदों ने रखी बात

बीजद के प्रशांत नंदा ने कहा कि 1962 से लेकर अब तक सभी वैज्ञानिकों और प्रधानमंत्री को इस सफलता का पदक दिया जाना चाहिए. अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरई ने चंद्रयान के हर मिशन की सफलता का श्रेय देश के वैज्ञानिकों को जाता है. इनमें सी वी रमण, एपीजे अब्दुल कलाम प्रमुख थे. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के वैज्ञानिकों ने भी भारत की अंतरिक्ष यात्रा में अहम योगदान दिया है.

तृणमूल कांग्रेस के अबीर रंजन विश्वास ने कहा कि जब पूरा देश लैंडर रोवर के चंद्रयान पर उतरने वाला था उस समय पूरा देश उसके उतरने और वैज्ञानिकों के जश्न का दृश्य देखने से वंचित रहा क्योंकि राष्ट्रीय टीवी चैनल पर हो रहे लाइव प्रसारण के फ्रेम में प्रधानमंत्री को तिरंगा लहराते दिखाया गया. इस पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने आपत्ति जताई और कहा कि जब प्रधानमंत्री को दिखाया गया तब स्क्रीन के शेष हिस्से में लैंडिंग के दृश्य प्रसारित किए जा रहे थे. शिव सेना के संजय राउत ने कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा गौरवशाली रही है और चंद्रयान-3 की सफलता अद्भुत है तथा इसने इतिहास रचा है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह 60 साल के टीम वर्क का नतीजा है. सरकारें आती हैं चली जाती हैं, प्रधानमंत्री आते हैं और चले जाते हैं लेकिन अंतरिक्ष यात्रा अनवरत जारी रहेगी.” समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि वैज्ञानिकों की उपलब्धियां पूरी मानवता को लाभान्वित करती है. झामुमो की महुआ माजी, रालोद के जयंत चौधरी, द्रमुक के एम मोहम्मद अब्दुल्ला, आप के अशोक मित्तल, तेदेपा के कनकमेदला रवींद्र कुमार, भाकपा के विनय विश्वम और संदोष कुमार पी, राकांपा की वंदना चव्हाण ने भी चंद्रयान की सफलता के लिए वैज्ञानिक समुदाय की सराहना की.

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